Wednesday, April 14, 2010

नाम की पहचान

वर्षों पहले जब मैं भोपाल आया था ,टी .टी .नगर के पूरे नाम से परिचित न होने के कारण इसे टाटा नगर समझता था .ग्लानि हुई यह जानकर कि यह तात्या टोपे नगर है .तब से आज तक इस सक्षिप्ती कारण का जाल तेजी से फैला है .एम् .पी नगर ,एम् .वी एम् .,एम् एल बी ,सी एम् ,जे .के .रोड आदि हर जगह संक्षिप्त नामों का सिलसिला चलन में है .नगर ,सस्थाएं ,नाम ,उपनाम जिस उद्देश्य को लेकर रखे जाते हैं वह उद्देश्य ही समाप्त हो गया है मानो .महाराणा प्रताप ,तात्या टोपे ,महारानी लक्ष्मी बाई ,मोती लाल ,महात्मा गांधी ,नेहरू जैसे आदर्श ,माननीय प्रसिध्द व्यक्तियों के आदर्शों को मानो इस संक्षिप्तीकरण ने निगल लिया है .आज सब कुछ उलट पलट है ।
क्या हम एक सद्प्रयास यह नहीं कर सकते कि यथासंभव इससे बचें और दूसरों को भी इसकी सलाह दें .अपना नाम भी यथा संभव विस्तार से उपयोग करें .महा पुरुषों का भी पूरा नाम ही उच्चारित करें .अंगरेजी कारण का भूत आखिर कब तक हम पर हावी रहेगा ।
नामों को सार्थक बनायें .नयी पीढी को एक सन्देश दें .अपनी संस्कृति ,अपनी परंपरा का सम्मान बढ़ाएं ।
कहिये आप तैयार हैं ? मेरा विनम्र अनुरोध स्वीकारेंगे ?
तो फिर आज से ,अभी से तैयार हो जाइये ,शुरू कर दीजिये नामों का विस्तार .नामकरण का उद्देश्य पूरा होगा .महापुरुषों की आत्माएं हमें आशीष देंगी .युवा पीढी उनसे परिचित होगी ,उन्हें जानने समझने को उत्सुक होगी .और यही उद्देश्य था नामकरण का .तब हमारे नाम की सही पहचान होगी .

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

विचारणीय पोस्ट लिखी है।आभार।

Mansoor ali Hashmi said...

नाम खोके मिट रहे है हम,
short होके कट रहे है हम.

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

swagat aapka ,uddeshya to uttam hai ,prayas kiya jana chahiye.
sader
dr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com