Saturday, December 20, 2008
अधिकार और कर्तव्य
अधिकार और कर्तव्य के बीच जब कभी द्वंद होता है तो ज्यादातर अधिकार कर्तव्य पर हावी रहता है .अधिकार लेना है और कर्तव्य देना.घर ,परिवार हो या कार्यालय हर जगह अधिकार की ही बात चलती है.घर में बेटा बहु पत्नी ,कार्यालय में कर्मचारी सब को अधिकार चाहिए .असहयोग ,धरना प्रदर्शन ,बंद जैसे कार्यक्रमों के साथ हम मैदान में कूद पड़ते हैं.इससे किसको परेशानी ,असुविधा हो रही है ,हमें इससे मतलब नहीं.हमारी मांग पूरी होना चाहिए.अपने लाभ से बढ़कर हमारे लिए और कुछ नहीं.क्या हम अधिकार के साथ साथ अपने कर्तव्य का ध्यान नहीं रख सकते ?देना क्या लेने से सम्बन्ध नहीं रख सकता .आख़िर हम हमेशा याचक ही क्यों बने रहें कभी दाताभी तो बन कर देखें.पीछे पीछे ही नहीं कभी आगे भी तो चलकर देखें.यही हमारे और राष्ट्र के लिए अच्छा होगा.अधिकार तो याद रखें पर कर्तव्य को भी भूलें नहीं.
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