कभी कभी मन अवसाद ग्रस्त हो जाता है .मन किसी काम में नहीं लगता.एक अजीब सी उदासी मनोमस्तिष्क में भर जाती है .अजीब से विचार आते रहते हैं.बहुत दिन बाद लिखना हो रहा है.ऐसा लगता है मानो जबरदस्ती लिख रहा हूँ .विचारों का तारतम्य भी नहीं मिल पा रहा है. आख़िर क्यों होता है ऐसा?
सोचता हूँ और सोचता रह जाता हूँ.
Sunday, December 28, 2008
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