जीवन है तो सुख है ,दुःख है ,
आते हैं बारी बारी ।
हंस कर जी लें ,रोकर जीलें,
जीवन है तो जीना है ।
आपद और निरापद के क्षण ,
आयेंगे और जायेंगे ,
स्वीकार करें या ठुकरा दें,
फ़िर भी जीवन जीना है ।
गरल घुले यदि जीवन में तो ,
बारी आयेगी अमृत की ,
मेल भले हम बिठा न पायें ,
तो भी जीवन जीना है ।
मर कर जी लें
जी कर मर लें
यह ऊहां पोह भले हो मन में ,
संघर्ष करें या करें पलायन
जीवन हमको जीना है ।
डर कर झेलें विसंगतियों को ,
या साहस से करें सामना ,
माना जीवन अबूझ पहेली ,
फ़िर भी जीवन तो जीना है ।
चाहे बोझ इसे माने हम ,
या कपास सा हल्का ,
अपनी सलीब तो आख़िर में ,
हमें स्वयं उठाना है ।
सिक्के जैसे जीवन के भी ,
धुप छाँव दो पहलू हैं ,
हँसना रोना ,सुख और दुःख ,
जीवन में जड़े नगीना हैं ।
जाने ,समझें और कदम रखें ,
भाई !हंस हंस कर जीना है ।
हमको जीवन जीना है ।
सार्थक जीवन जीना है .
Saturday, November 22, 2008
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