मेरे देश का युवा शंकर !
सनातन धर्म की ,
पुनर्स्थापना के लिए ,
दिग्विजय करता है ।
विभिन्न पंथ ,विभिन्न मतों में ,
समन्वय स्थापित कर ,
राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोता है ।
युवा संन्यासी विवेकानंद !
अपनी माटी का धर्म ,इसकी संस्कृति की ,
महानता का उदघोष ,
सुदूर पश्चिम में करता है ।
सिध्दार्थ !
दृढ और कठिन साधना से ,
सम्बोधि प्राप्त कर ,
बुध्द बनता है ।
आजाद ,भगत सिंह ,सुभाष जैसा युवा ,
अपनी भारत माता के लिए
अपने प्राण न्यौछावर करता है ।
युवा शक्ति !
तुम्हारी वीर गाथा से ,हमारा ,
ह्रदय श्रध्दा से भरता है ।
मेरे देश का युवा ,
दृढ ,शक्तिशाली ,मेधावान है ,
उसके ज्ञान ,कौशल का डंका ,
देश विदेश में ,
पिट रहा है ।
देखो !देश की कीर्ति का ,
ध्वज कैसा फहर रहा है ।
मत करो ,उस भोले मन को ,
दिग्भ्रमित ,
उसकी शक्ति ,उसके अदम्य साहस को ,
कुत्सित राजनीति में मत घसीटो ।
हिंसा ,घृणा ,आतंक की लाठी ,
उसको माध्यम बना ,
मत पीतो।
उसकी ऊर्जा ,उसकी सृजनशीलता ,
का मजाक मत उडाओ ।
बहुत हो चुका अब तक ,
अब तो हरकतों से बाज आओ ।
उड़ने दो उसे स्वतंत्र ,
अपने कल्पना लोक में ,
कुछ नया रचेगा ।
कुछ नया सृजन करेगा ।
अपनी उमंग में ,
संसार को देगा नया कुछ ।
फ़िर जन्मने दो ,
गांधी ,सुभाष को ,
इस धरा पर ,
मानवता का संदेश ,
फ़िर उदघोषित होगा ।
भ्रमित युवा का
मोह भंग होगा ।
राष्ट्र का नव निर्माण ,
उसका अगला कदम होगा ।
जिसमें आम जन ,
शांत ,खुशहाल ,सम्रध्द होगा .
Monday, November 17, 2008
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3 comments:
yuva shakti par apki kavita bahut achchi lagi .apni gati isi tarah banaye rakhen .
apne yuva shakti ko jagrat karne ka aham kadam uthaya hai .bhramit yuva shakti ko ek nai disha dena aaj ki aavashyakta hai .samaj ,desh ko isse bahut labh hoga.
isee tarah prayas jari rakhiye
apki rachna pasand aai .mere desh ka yuva aaj bhatka hua hai .use aaj ek nai disha chahiye .is tarah ki rachnayen use disha bodh karva sakti hain .
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