पंडित प्रदीप की रचना का यह एक पद है .इसमे ईश्वर को संबोधित करते हुए संसार की वर्तमान स्थिति का खाका खींचा गया है .सचमुच आज विश्व किस दिशा में जा रहा है ? आज से पचास वर्षपूर्व के भारत की स्थिति और आज कितना परिवर्तन आ गया है .सामाजिक ,राजनैतिक ,सांस्कृतिक हर पहलू में भारत बदला बदला लगता है .आदर्श ,नैतिकता ,शिष्टाचार मानो कल की बात हो गए हों .इनकी बात करने वाला मानों पिछड़ा कहलाये ।
नेहरू के समय की राजनीती और आज की राजनीती में कितना अन्तर .सिध्दांत की जगह आज अवसरवादिता ने ले लिया है .कल तक के दुश्मन आज एक हो रहे हैं .भ्रष्टाचार आज शिष्टाचार हो गया है .असामाजिक तत्व राजनीती में हावी हैं .धनबली ,बाहुबली आज राजनीती में सिरमौर हैं .अपराधी आज दिशा दे रहे हैं भारतीय राजनीती को ।
चुनाव पूर्व एक दूसरे को गलियां देते हैं ,फ़िर कुर्सी के लिए गलबहियां डाले घूमते हैं .वर्तमान में लोक सभा चुनाव का दौर चल रहा है .अब तक जो नहीं हुआ वह बी देखने को मिल रहा है .सभाओं मेंजुते चप्पल फिंकना आज आम बात हो गई है .एक दूसरे को जलील करना ,अपमानित करना राजनीती का अंग हो गया है ।
चुनाव परिणाम आयेंगे ,फ़िर जोड़ तोड़ की राजनीती शुरू होगी ,दुश्मन एक होंगे ,कुर्सी पकडेंगे .और फ़िर चलेगा राजनीती का पहिया ,भले ही डगमग हो .हम दुहाई देते रहेंगे भारतीय लोकतंत्र की .आदर्शों को अपना जीवन मानने वाला भारत आज कहाँ है ?कितना बदल गया है आज हमारा देश .कितने बदल गए हैं हम .क्या ऐसा ही चलता रहेगा .आशा है की बदलाव आयेगा और सकारात्मक बदलाव .हमारे देश की जनता ,आम जनता बदलेगी इस देश का बिगडा राजनैतिक इतिहास .उम्मीद है विश्वास है हमें .
Friday, May 1, 2009
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