Wednesday, December 31, 2008

नव वर्ष की शुभ कामनाएं

नव वर्ष की शुभ कामनाएं,
हार्दिक बधाई ।
आईये! करें ईश्वर से प्रार्थना ,कि,
अतीत की अशुभ घटनाओं की ,
अब न पड़े परछाईं ।
घर ,परिवार ,गाँव ,शहर ,
खुशहाल हो ।
चतुर्दिक शान्ति ,नई संभावनाओं से ,
देश मालामाल हो ।
प्रेम ,भाईचारा ,विश्वास ,
हमारे मन में जगे ।
एक नई आशा ले ,
हम बढ़ें आगे ।
निपटें जल, ऊर्जा के संकट से ,
बचाकर पानी ,बिजली ।
नबवर्ष में यह बात ,
मन में बिठाने की रही ।
एक नई ऊर्जा ,एक नई शक्ति का ,
हममें संचार हो ।
नव वर्ष का यही ,
हम सब को उपहार हो ।
साथ रहें ,साथ बढ़ें ,
देश का नव ,
इतिहास गढें.

Sunday, December 28, 2008

यह उदासी

कभी कभी मन अवसाद ग्रस्त हो जाता है .मन किसी काम में नहीं लगता.एक अजीब सी उदासी मनोमस्तिष्क में भर जाती है .अजीब से विचार आते रहते हैं.बहुत दिन बाद लिखना हो रहा है.ऐसा लगता है मानो जबरदस्ती लिख रहा हूँ .विचारों का तारतम्य भी नहीं मिल पा रहा है. आख़िर क्यों होता है ऐसा?
सोचता हूँ और सोचता रह जाता हूँ.

Saturday, December 20, 2008

अधिकार और कर्तव्य

अधिकार और कर्तव्य के बीच जब कभी द्वंद होता है तो ज्यादातर अधिकार कर्तव्य पर हावी रहता है .अधिकार लेना है और कर्तव्य देना.घर ,परिवार हो या कार्यालय हर जगह अधिकार की ही बात चलती है.घर में बेटा बहु पत्नी ,कार्यालय में कर्मचारी सब को अधिकार चाहिए .असहयोग ,धरना प्रदर्शन ,बंद जैसे कार्यक्रमों के साथ हम मैदान में कूद पड़ते हैं.इससे किसको परेशानी ,असुविधा हो रही है ,हमें इससे मतलब नहीं.हमारी मांग पूरी होना चाहिए.अपने लाभ से बढ़कर हमारे लिए और कुछ नहीं.क्या हम अधिकार के साथ साथ अपने कर्तव्य का ध्यान नहीं रख सकते ?देना क्या लेने से सम्बन्ध नहीं रख सकता .आख़िर हम हमेशा याचक ही क्यों बने रहें कभी दाताभी तो बन कर देखें.पीछे पीछे ही नहीं कभी आगे भी तो चलकर देखें.यही हमारे और राष्ट्र के लिए अच्छा होगा.अधिकार तो याद रखें पर कर्तव्य को भी भूलें नहीं.

Tuesday, December 16, 2008

भू मंडलीय शिक्षा

आज जब हम अपने देश में निरक्षरता की समस्या से जूझ रहे हैं ,तभी हमें अपने देश में ग्लोबल शिक्षा जैसा नाम सुनने को मिल रहा है.इसके लिए तैयारियां चल रही हैं .एक बहुत बड़े वर्ग को पीछे छोड़ हम भला कैसे वैश्विक उन्नत शिक्षा के लिए आगे बढ़ें। क्या समर्थ लोगों के आगे हम उन करोड़ों को नजर अंदाज कर दें जो आज भी नाम की जगह अपना अंगूठा लगा रहे हैं.सर्वप्रथम तो हमें अपने इन भाइयों को साक्षर बनाना होगा.उन्हें शिक्षा का महत्व समझाना होगा .यदि भारत का जन सामान्य ऐसे ही अशिक्षित रहा तो इससे हमारा विकास अधूरा ही रहेगा .आज जरूरत है इन्हें साथ लेकर आगे बढ़ने की.यह वह वर्ग है जिसका लोकतंत्र को आगे बढ़ने में अहम् योगदान है .उसकी उपेक्षा हमें महँगी पड़ेगी .अस्तु ,आइये !आज हम उन्हें साथ लें और लोकतंत्र के इन सक्षम लोगों को सामान्य शिक्षा से लेकर उन्नत या ग्लोबल शिक्षा में अपना भागीदार बनायें.

Sunday, December 14, 2008

निरक्षरता का अभिशाप

माँ! तुम उत्तर प्रदेश के ठेठ गाँव की थीं .पिताजी यद्यपि कानपुर जैसे शहर के थे.पढ़े लिखे भी थे.विवाह के बाद तुम पिताजी के साथ मध्य प्रदेश के एक गाँव में आकर बसेरा बनाया.तुम निरक्षर थीं। आज से लगभग सात आठ दशक पूर्व शिक्षा का प्रसार नाम को था।
अपने आसपास जब कुछ शिक्षित महिलाओं को तुलसी रामायण ,हनुमान चालीसा या अन्य सरल कथा साहित्य पढ़ते देखतीं तो तुम्हारे मन में भी हूक उठती पढने की .तब तुमने भी पढने का बीडा उठाया। अपना शिक्षक ढूँढा और अक्षर ज्ञान प्राप्त किया .अंततः हिन्दी साहित्य पढ़ना प्रारम्भ किया .समाचार पत्र ,किस्से कहानियाँ ,पत्र आदि पढ़ना तुम्हें आ गया ।
माँ!कितना समय बीत गया आज हम कंप्यूटर युग में जी रहे हैं.फ़िर ही आज हमारे देश में साक्षरता की कमी है .एक बहुत बड़ा वर्ग आज भी अपना हस्ताक्षर नहीं कर सकता .उसे सिर्फ़ अंगूठा लगा कर ही संतोष कर लेना पड़ता है .दुनिया आगे बहुत आगे बढ़ रही है .हमारे यहाँ शिक्षित लोगों की कमी खल रही है .शासकीय योजनायें बहुत हैं पर कहाँ तक इनका लाभ जन समाज उठा पाया है .क्यों नहीं इमानदारी से इस पर विचार होता।
क्यों नहीं निरक्षर जनों में तुम्हारे सामान पढ़ने की ललक जागती.

Tuesday, December 9, 2008

विधान सभा चुनाव

कुछ राज्यों में अभी चुनाव हुए और उनके परिणाम भी सामने आए.मतदान का बढ़ा प्रतिशत लोकतंत्र के लिए शुभ संदेश देता है.चुनाव परिणाम इस बात का संकेत है कि सकारात्मक कार्य ही विजय दिलाने में समर्थ हैं.जिस दल नेविकास के काम किए ,लोगों की समस्या सुलझाई उसे जीत मिली.अब समय कोरी लफ्फाजी का नहीं ,भाषण बाजी का नहीं.राजनैतिक ड्रामें से सरकार नहीं बनेंगी अब.म.प्र.और छ.ग.में पूर्ण बहुमत प्राप्त दल ने जनता के विश्वास को काम कर जीता है तभी वह सत्ता पर काबिज हो सकी .शीला दिक्षित का फ़िर से सत्ता पर आना उनके कार्य का ही परिणाम है. राजस्थान में शायद महारानी गफलत में रहीं और खेत रहीं।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ में कांग्रेस के दो पूर्व मुख्य मंत्रियों ने कांग्रेस का इन प्रदेशों में सचमुच बंटाधार किया है. अपने बड़बोले पॅन के कारण इन लोगों ने कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुँचाया है.फ़िर न जाने क्यों हाई कमान इन पर मेहरबान है.खैर यह दल का मामला है .उनकी वो जाने.वर्तमान चुनाव निष्पक्ष हुए ,चुनाव आयोग की सख्ती के कारण.दलों को विजय मिली उनके कार्य के कारण .यही सचमुच का प्रजातंत्र है .बलिहारी प्रजातंत्र की .

Saturday, December 6, 2008

आख़िर ऐसा क्यों

आजादी के पहले के और आजादी के बाद के काल खंड पर जब नज़र पड़ती है तब सहसा यह प्रश्न मन में उभरता है कि आख़िर इतना कुछ कैसे बदल गया.व्यक्ति ,समाज सब बदला बदला लगता है.विहंगम द्रष्टि डालें तो देखने में आता है कि आजादी के पहले व्यक्ति और समाज में शुचिता ,मर्यादा ,नैतिकता ,ईमानदारी जैसे गुण विद्यमान थे ,चाहे वह आम हो या खास.अपने मूल्यों के लिए ,अपने या राष्ट्र -स्वाभिमान के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तत्पर रहता था.उस समय कितने योग्य और निपुण व्यक्ति हमारे बीच थे.हर विधा के महान रत्न तब भारत की शोभा बढ़ा रहे थे.विवेकानंद से लेकर अरविन्द ,गांधी ,सुभाष ,भगतसिंह जैसे व्यक्तित्व से यह देश भरा हुआ था .जो राष्ट्र के लिए समर्पित थे .अपना सर्वस्व देश के लिए लुटा दिया ।
और आज ,हम देखते हैं कि बिना रीढ़ के लोग देश चला रहे हैं .ढूँढिये ऐसा एक भी व्यक्तित्व जो उनका सानी हो.शायद नहीं .निराशा होती है देख कर कि आज देश अनाथ सा हो गया है .दिशा विहीन .चारों ओर अफरा तफरी मची हुई है .बेईमानी ,लूट ,भ्रष्टाचार ,अनैतिकता हमारा हथियार बन चुकी है.देश की किसी को चिंता नहीं.ऊपर सत्तासीन लोग अपने स्वार्थ में मग्न हैं .भ्रष्ट राजनीति देश पर हावी है.देश का धन इनकी गांठ में बंधा है .लूट खसोट में लगे ये कर्णधार देश को क्या दिशा देंगे .स्थिति सचमुच चिंता जनक है .देश पर आतंक के साए घहरा रहे हैं.और हम मूक तमाशा देख रहे हैं . कर्तव्य बोध मानेखो गया है. चुनौती पर चुनौती पर हमारे शासक ध्रतराष्ट्र अंधे बने हुए हैं.जाने कब उनकी आँख का आपरेशन होगा.लेकिन तब तक बहुत समय निकल चुका होगा .क्या हमारे तथाकथित नेता गण जागेंगे ,उन्हें अपना कर्तव्यबोध होगा.याद रखिये तुम्हारी चूक के लिए इतिहास तुम्हे माफ़ नहीं करेगा ,इसका हिसाब तुम्हे देना पड़ेगा .याद करो अपने पुरखों को और उचित कदम उठाकर अपना कर्तव्य पूरा करो.यह देश तुम्हारी बपौती नहीं यह हम सबका है.तुम मात्र इसके चौकीदार हो मालिक नहीं .अपना कर्तव्य ईमानदारी से निबाहो.देश का कुछ भला हो.आप सुधरें नहीं तो शायद जनता ही तुम्हें सुधारेगी।
आशा है कि राजनेताओं को सद्बुध्दिआयेगी और देश का भला हो पायेगा .जयहिंद.

Thursday, December 4, 2008

विवाह की प्रथम वर्षगांठ पर शुभ कामनाएं

शुभ विवाह की पहली वर्षगांठ ,
हर्ष उल्लास से मनाएं।
दांपत्य जीवन में सदा ,
खुशियों की बहार लायें ।
सुख मय,मधुमय जीवन हो ,
स्वीकारें ,हमारी अनंत शुभ कामनाएं।
ईश्वर से है यही प्रार्थना ,
दुःख ,बाधा से तुम्हे बचाएं।
बहुत बहुत शुभ और मंगल कामनाएं।
शुभाकांक्षी - पापा,मम्मी और मिनी.

Wednesday, December 3, 2008

लोहा गरम है

अभी लोहा गरम है ,यही समय है हथौडा चलाने का । भारतीय जन मानस एवं अन्तर राष्ट्रीय समुदाय आतंकवादी हमले के विरुध्द भारत के साथ हो गया है यदि किसी देश के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं आतंकवादियों से रिश्ते के तो यह समय है उस देश के विरुध्द कार्यवाही करने का .निश्चित ही यह संदेह पाकिस्तान पर होता है .इसके प्रमाण भी भारत के पास हैं .भारत सरकार इस पर ठोस कदम उठाये.यद्यपि इसके संकेत मिल रहे हैं.आज दृढ इच्छा शक्ति की जरूरत है .पाक से अपने संबंधों का वह विश्लेषण करे.कूटनीतिक ,सामरिक कदम उठाकर वह भारतीय जन समुदाय का विश्वास प्राप्त कर सकता है.पाक के विरुध्द युध्द की घोषणा भी समय के अनुकूल होगी ।
देर आए दुरुस्त आए के अनुसार कड़े क़दमों की सरकार से अपेक्षा है .मेरी बेटी लिखते समय कह रही है कियुध्द से कितने जन धन की हानिहोगी .यह भी सच है लेकिन अन्तिम विकल्प के रूप में शायद युध्द ही हल होगा ।
आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत करना हमारा पहला लक्ष्य होगा ।
करोड़ों ,करोड़ों भारत वासी की नजरें टिकी हुई हैं भारत सरकार पर इस आशा के साथ कि भविष्य में वह आतंक के दारुण नरसंघार से हमें मुक्ति दिलायेगी.भारत सरकार की यह अग्नि परीक्षा है,उसे तपकर बाहर निकलना है या आग में ध्वस्त हो जानाहै .आशा है हमारी सरकार शीघ्र ही अपने लक्ष को प्राप्त कर लेगी और आतंक वादी दानव से हमारा छुटकारा हो सकेगा .जनता आपके हर कदम पर आपके साथ है .महानुभावो ,अब ऐसा कुछ कर दिखाओ कि जिससे वर्त्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य भी खुश ,निडर हो सके .आतंक वाद मुक्त मेरा देश हो,यही ईश्वर से प्रार्थना है और मेरे देश का नेतृत्व अपने लक्ष्य पर सफल हो.

Tuesday, December 2, 2008

वह रात

आज से चौबीस वर्ष पहले की वह रात भोपाल के लिए अविस्मरणीय है.गैस त्राशदी की वह घटना याद करते ही मन काँप उठता है .दो और तीन दिसम्बर की रात जब लोग नींद या अर्ध्द निद्रा में थे भोपाल बदहवाशी में जाग रहा था .किसी को कुछ मालूम नहीं कि क्या हुआ पर वह यहाँ वहां भाग रहा था .बस उसे यही ख़बर मिली कि कहीं कुछ हुआ है.शायद कोई सिलेंडर फटा ,कोई दंगा हुआ या ऐसा ही कुछ और ।
अपने परिवार के साथ लोग भाग रहे थे यहाँ वहां .रात का समय भोपाल में मानों दिन निकला हुआ था .हम भी अपने परिवार के साथ घर छोड़ अनजान से भाग निकले.सड़क में मानो मेला लगा था .दूर मन्दिर में हमने आश्रय लिया .यहाँ हमें गैस रिसने की जानकारी मिली .विषैली गैस मिक यूनियन कार्बाइड से रिसी थी.इसने भोपाल में हजारों जान ली ,कई परिवारों को पीढियों का रोग दे दिया .आज भी भोपाल उस गैस की त्राशदी भोग रहा है ।
आधा अधूरा इलाज ,आधा अधूरा मुआवजा यह गैस पीडितों का सच है .यूनियन कार्बाइड कंपनी के खिलाफ कार्यवाही आज भी अधूरी है .तत्कालीन चेयरमैन आज भी क़ानून के कठघरे से बाहर है .यह हमारी न्याय व्यवस्था पर एक प्रश्न चिह्न है।
उस समय शासन प्रशाशन पंगु हो गया था.लोगों को कोई सूचना ,कोई जानकारी नहीं .इसके अभाव में भी त्राशदी और बढ़ी.यह त्राशदी किसी मानवीय आतंक से कम नहीं थी .इस गैस ने भोपाल को मानो श्मशान बना दिया था ।
गैस त्राशदी की बरषी पर शहीद हुए हजारों लोगों को श्रध्दांजली देते हुए यह प्रार्थना करें कि दुबारा इस तरह की घटना न हो .गैस पीडितों को न्याय मिले ऐसी अपेक्षा है.