महाशिवरात्रि शिव का प्रगटीकरण इस धरा पर . त्रिदेवों में एक ,देवों ,दानवों में समान रूप से सम्मानित ..देवों पर जब जब संकट आया ,संकट मोचक बने महादेव .उदार ,सरल ह्रदय शिव सहज में प्रसन्न होकर वरदान दे देते ,भलेही बाद में उनपर संकट आया हो .भस्मासुर कथा सर्वविदित है .समुद्र मंथन में निकले हलाहल को अपने गले लगाकर नीलकंठ बन गए ,गंगा का वेग अपने सर रखा जिसके कारण ही गंगा धरती पर आ सकी .अवधूत,वैराग्य धारण किए हुए ,त्याज्य वस्तुओं को स्वीकार कर भोले नाथ बने .क्रोध आया तो तीसरा नेत्र खुला .और कामदेव भस्म .रति पर दया दिखाकर मानव में ही कामदेव को स्थापित कर दिया .ऐसे हैं शिव ।
आदिगुरू शंकराचार्य ने शिव स्तुति पर अनेक पद लिखे .रावण का शिव तांडव स्त्रोत रावण की शिव भक्ति का अनुपम उदाहरण है .
Monday, February 23, 2009
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