Saturday, January 17, 2009

जीवन के ५८ बसंत

जीवन के ५८ बसंत बीत चुके .५९ वां प्रारम्भ हो गया है .ईश्वर की असीम कृपा एवं स्वजनों की सद भावनाओं के कारण उपलब्ध्दियाँ अनेक रहीं .मन चाह मिला .पत्नी ,बच्चों के संग जीवन खुशहाल रहा .तीन बेटियाँ अपने अपने घरों को सजा संवार रहीं हैं .एक अभी हमारे साथ रह अपने भविष्य के सपने संजो रही है .वह अभी सारे आकाश को ही अपनी अंजुरी में बंद करने को व्याकुल है .उसकी भी महत्वाकांक्षा पूरी हो ,यही हमारी कामना है । दांपत्य जीवन हमारा सुखमय बीता .सफल जीवन में अन्यों की तरह हमारी धर्मपत्नी की भी हमारे जीवन में प्रमुख भूमिका रही .सुघढ़ गृहणी ,व्यवहार कुशलता के लिए वे ख्यात रहीं .उनका हमारा गृहस्थ जीवन का ३५ वां वर्ष अभी पूरा हुआ है .उनके साथ का हमें गर्व है .गृहस्थी को पूर्णता देने में उनका बड़ा हाथ है .हमें सँभालने में भी उनका बहुत बड़ा हाथ रहा ,इसमें दो मत नहीं ।
बच्चे निरंतर संपर्क में रहते हैं .खुशी होती है उनसे बातचीत कर .खूब बतियाते हैं हम लोग .तीज त्यौहार पर यद् तो आती है सबकी पर मन मसोस कर रह जन पड़ता है .बड़ी बेटी की बेटी अक्सर याद आती है . उसके बात करने का ढंग ,उसके हाव भावःमनको छू जाते रहे हैं ।
घर ,परिवार ,बाहरऔर कार्यस्थल में भी आदर ,स्नेह और प्यार बहुत मिला .इच्छा थी अध्ययन ,अध्यापन के क्षेत्र में जाने की पर अपना चाहा कितना पूरा होता है !हाँ ,अध्ययन ,मनन आज भी भरपूर होता रहता है .सब कुछ तो मिला जीवन में .नहीं मिला कुछ, तो उसका भी दुख नहीं ।
बाबा की कृपा से आगे भी शुभ ,शुभ ही होगा ,विश्वास है ।
सद इच्छाएं सभी के लिए ,शुभ कामनाएं सभी के लिए ।
सब सुखी हों ,सब निरोगी हों ,सब शुभ शुभ देखें ,कोई दुखी न हो यही आकांक्षा है .

1 comment:

Smita Asthana said...

very well said papa. We all love you whatever u gave us we are very pleased & thankful to you & ma.
Ritu