२३ जनवरी उस महापुरुष का जन्म दिन है जिसने भारत माता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया .सुख सुविधाओं का त्याग कर काँटों का ताज पहन कर नेता जी ने सारा जीवन देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में होम कर दिया .इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा उत्तीर्ण कर उसे भी राष्ट्र के लिए ठोकर मार दिया ।
देश में चलती कांग्रेस की नीतियों को ढुलमुल जानकर देश से बाहर जाकर कुछ करने का उन्होंने ठाना . और वे निकल पड़े काबुल के रास्ते जर्मनी ,इटली ,जापान की ओर .हिटलर ,मुसोलनी के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को आगे ले जाने के लिए सहयोग मांगने .अपेक्षित सफलता न मिलने पर उन्होंने जापान का रुख किया .और फ़िर बनी आजाद हिंद फौज .जापान के साथ कूच किया भारत की ओर ।
सफलता कितनी मिली यह बात और है लेकिन वहां उन्हें जो जन सहयोग मिला वह बेमिसाल है .तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा का आव्हान करने वाले नेता जी को पर्याप्त सहायता मिली .और अंग्रेजों के साथ युद्ध में भी वे काफी हद्द तक कामयाब भी हुए .अफ़सोस की उनके जीते जी भारत आजाद न हो सका ,फ़िर भी देश के लिए उनका जज्बा बेजोड़ था ।
अंग्रेजों को लोहे के चने चबवाने वाले इस महापुरुष का अन्तकाल भी विवादों के घेरे में रहा .आज भी भारत सरकार उनकी म्रत्यु के रहस्य पर मौन साधे हुए है ।
सचमुच आज नेता जी सुभाष जैसे व्यक्तित्व की देश को आवश्यकता है .अदम्य देशभक्ति ,इच्छाशक्ति ,अनुशासन प्रियता उनके स्वाभाविक गुण थे .देश के इस महान सपूत की याद में सर आदर से झुक जाता है .कोटि कोटि नमन उस भारत मन के अमर सपूत को ।
जयहिंद
Saturday, January 24, 2009
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