है वह मस्जिद ,नाम है उसका द्वारिका माई.उसमें निवास करने वाला व्यक्ति यह कहे कि द्वारका माई की सीढियां जो चढ़ेगा उसका भला ही भला होगा .है न विचित्र बात .लेकिन यह सच है .मस्जिद है महाराष्ट्र के शिर्डी नामक स्थान में और वह व्यक्ति है साईं बाबा जिसने लगभग जीवन के साठ पैंसठ वर्ष इस मस्जिद में बिताये .उनकी साधना स्थली यही द्वारका माई मस्जिद थी .युवावस्था से लेकर वृध्दावस्था तक अपना सारा जीवन एक फ़कीर के रूप में बाबा ने यहीं गुजारा था .
एक अनाम व्यक्ति जिसके नाम ,जाति कुल गोत्र का पता नहीं ,अपने एक भक्त के द्वारा साईं के संबोधन से साईं बाबा के नाम से जाना गया .उन्नीसवीं सदीमध्य से लेकर बीसवीं सदी के प्रारंभ तक उनका जीवन कल रहा .जीवन के अंतिम वर्षों में उनको बहुत प्रसिध्दी मिली . शिर्डी को सरे देश में पहचान मिली ।
साईं बाबा को आज यदि कबीर का ही अवतार माना जाये तो शायद अत्युक्ति नहीं होगी .कबीर से मिलता जुलता व्यक्तित्व था उनका .कबीर का जन्म उनका वंश ,उनका पालन पोषण आदि की जानकारी तो है पर बाबा के बारे में यह भी आज तक अजाना है .पर कबीर जैसा विद्रोही ,फक्कड़ाना,स्वभाव बाबा का भी था .साईं बाबा स्वयं कहते ,मैं कोई कन्फुन्क्वा नहीं जो दीक्षा दूं .आज उनका कोई पंथ नहीं ,कोई शिष्य परंपरा नहीं .कबीर के नाम से तो भला एक कबीर पंथ ही चलता है .बाबा ने व्रत ,उपवास पर कभी बल नहीं दिया .अपने इष्ट अनुसार वे लोगों को नाम जप पूजा अर्चना करने की सदा सलाह दी ।
हिन्दू ,मुस्लिम ,छोटे ,बड़े सभी उनके लिए सामान थे .कभी भेद भाव नहीं किया उन्होंने.कबीर की ही तरह ,भक्तों को वे मार्ग दिखाते ,कभी गलतियों के लिए फटकारते ,कभी कभी तो भक्त उनके द्वारा पिट भी जाते पर उन्हें बुरा न लगता ,वे इसे भी बाबा का आशीर्वाद मान लेते . आज की तरह वे भाषण या प्रवचन नहीं देते थे पर नेक सलाह ,नेक समझ जरूर देते अपने भक्तों को .आज यही बातें बाबा के वचनों के रूप में पढी समझी जाती हैं ।
युग बीता ,बाबा को समाधी लिए लगभग नब्बे वर्ष पूरे हुए पर आज भी बाबा लाखों ,करोड़ों भक्तो के साथ हैं ,उनकी समाधी उन्हें मार्गदर्शन देती है .हम स्वयं उनकी कृपा का अनुभव करते हैं .पूरे परिवार पर साईं बाबा की अपार कृपा है .बस उनके प्रति श्रध्दा चाहिए और हमें धैर्य ,उनकी कृपा प्राप्त हेतु .दो चीजें श्रध्दा और सबूरी ।
आज साईं कृपा से शिर्डी सम्रध्द और चमक ,दमक से भरपूर है ,व्यावसायिक रूप हो चूका है उसका पर हम आज भी उनका वही फकीराना स्वरुप देख सकते हैं ,श्रध्दा ,सबूरी के बल पर ।
महिमा अपार है उनकी ,लीला अपार है उनकी .दर्शन कीजिये और उनकी कृपा का अनुभव कीजिये ।
ॐ साईं राम ...
Sunday, May 2, 2010
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