कोई महानता नहीं ,कोई विद्वता नहीं ,न कोई प्रसिध्द परिवार से सम्बन्ध .साधारण परिवार में जन्म ,हाँ कुछ संस्कार जरूर मिले .अपने मात पिता और गुरुजनों का आभारी हूँ इसके लिए ।
सरल ,सहज ,आडम्बर विहीन जीवन जीने में विश्वास रहा .सुरुचि पूर्ण भोजन एवं रुचिकर चर्चा एवं साहित्य से निकटता .धर्म ,दर्शन ,आध्यात्म एवं मानव मूल्यों पर आधारित साहित्य पहली पसंद .व्यर्थ की बहस ,विवाद से परहेज .स्वभाव अनुरूप विषयों पर संवाद पर प्रसन्नता ।
यथा संभव प्रसन्नचित एवं आनंदित रहना .अंतर्मुखी होने के कारण मिलने जुलने एवं लोगों से निकटता बनाने में संकोच .मन अनुरूप न हो तो थोडा क्रोध ,थोड़ी उद्विग्नता .संवेदनशीलता एवं भावुकता स्वभाव में ज्यादा .न काहू से दोस्ती न काहू से बैर ,का सिध्दांत ले अपने में मग्न ।
अब ब्लॉगर साथी है ,जिससे अपनी भोगी ,अपनी कही अनकही बाँट रहा हूँ .इसके माध्यम से सुधि जनों से ध्यान की अपेक्षा रखता हूँ .प्रेरणा ,सुझाव और आशीर्वचन का अभिलाषी हूँ ।
शेष फिर .......
Friday, April 30, 2010
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1 comment:
"आनन्द में रहना ही सबसे बड़ी बात है"
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