विद्यार्थी जीवन में हमारे विद्यालय का वातावरण बहुत कुछ साहित्यिक और सांस्कृतिक था .कितने कार्यक्रम हमारे विद्यालय में होते थे ,याद कर आज भी उस पर गर्व होता है .विद्यालय ने सचमुच हमें एक अच्छा विद्यार्थी बनाया .साहित्यिक माहौल वाले अपने विद्यालय की दीवार में लिखी एक कविता आज भी मुझे याद है जिसमे प्रेम की महिमा गायी गई है ।
पूर्णिमा के चाँद को ,ज्वार से बांधो।
सांप को बीन की झंकार से बांधो ।
बांधना गर आदमी को चाहते हो ,
तो आदमी को आदमी के प्यार से बांधो ।
गांधी विचार धारा से प्रेरित हमारे विद्यालय ने हमें बहुत कुछ दिया .धैर्य ,अनुशासन ,आदर सम्मान के भाव और प्रेम हमारे विद्यालय की ही हमको देन है . मानव मूल्यों की पहचान हमें उसी ने दिया .कबीर ,तुलसी ,मीरा ,नानक आदि को हमने भली भांति आत्मसात किया .विद्यालय एवं उसके गुरुजन सचमुच में हमारे लिए आदर्श रहे ,उसका प्रभाव आज तक हमारे मन में है .
मैं आभारी हूँ अपने विद्यालय एवं अपने गुरुजन का ,जो कुछ बन सका या कुछ अच्छा कर सका .
Sunday, April 18, 2010
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1 comment:
hi kaha aapney ,adarneeya Deekshit ji,poori tarah sahmat hoon aapsey.swagat hai aapka bhi aur aapkey aalekh ka bhi.
sader,
dr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
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