Monday, April 12, 2010

हाँ अब बेटियां जन्म लेंगी

और बेटी ने जन्म लिया ,
बजी थालियाँ ,ढोलक की थापियाँ ।
घर परिवार को मिली बहुत बहुत बधाइयाँ ।
खिलती ,खिलखिलाती ,
बेटी बढ़ती गई ,
उम्र दर उम्र ,
परिवार के सहयोग ,स्नेह से
वह बहुत आगे बढी।
शिक्षा के उच्च पायदान चढी ।
भारतीय पुलिस सेवा में ,
वह दूसरी किरण बेदी बनी ।
वह आज उच्च पद पर है .
परिवार जनों का स्नेहित कर
उसके सर पर है ।
वह उसका घर आज सम्मानित है ।
माँ,अपनी साधना ,अपनी उपलब्धि ,
पर हर्षित है ।
आसपास जब माँ की नजर ,
पूतों वाली माँओं पर पड़ती।
एक टीस मन में उभरती ।
देखती उन्हें निर्वासित ।
विधवा या वृध्दाश्रम में स्थापित ।
शब्द फूटते होंठों से ,
इन माँओं के बेटों से तो
बेटियां भली ।
कम से कम ये तो ,
न जातीं छलीं।
काश अब बेटियों का ,
जन्म घर समाज में ,
बोझ न बने ।
बेटे बेटियां बराबर में ,
परिवार स्नेह रस में सनें ।
हाँ ,अब बेटियां जन्म लेंगी ।
नहीं होंगी भ्रूण हत्याएं ,
वे सकुशल जन्मेगी ।
इस समाज ,इस देश को ।
और किरण बेदी ,और कल्पना चावला ,
अवश्य देंगी ,अवश्य देंगी .

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