१ ......भगवान बुध्द ने कहा है - "यदि तुम ईर्ष्या ,द्वेष ,घृणा ,निराशा एवं क्रोध के भावों से भरे रहोगे ,तो जीवन की समस्त अद्भुद्ताओं के साक्षात्कार से वंचित रहोगे ।"
पढ़िए और जीवन में आगे बढिए .जीवन का आनंद लीजिये ।
२ .......कविवर रवींद्र वाणी - " देश की माटी ,देश का जल ,
हवा देश की ,देश के फल ,
सरस बनें प्रभु सरस बनें ।
देश के घर ,देश के घाट ,
देश के वन ,देश के बाट ,
सरल बनें प्रभु सरल बनें ।
देश के तन ,देश के मन ,
देश के घर के भाई बहन ,
विमल बनें प्रभु विमल बनें ."
गुनगुनाइए यह प्रार्थना और अपने भारतको तदनुसार देखिये .
Wednesday, April 28, 2010
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1 comment:
very good.
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