Saturday, April 10, 2010

आस्थाओं पर प्रहार क्यों ?

आज कल आये दिन यह देखा जाता है कि धर्मों पर उलटे सीधे आक्षेप लगाये जाते हैं .हमारे आराध्य ,देवी देवताओं एवं प्रतीकों पर अनावश्यक टिप्पणी करना मानो शगल सा हो गया है . राम ,कृष्ण ,गणेश एवं अन्य हिन्दू देवी देवताओं पर निरंतर अभद्र टिप्पणी की जा रहीं हैं .ब्रिटिश काल में तो यह सब होता ही था लेकिन स्वतन्त्र भारत में भी यह सब जारी है.धर्म निरपेक्षता की आड़ में भी यह सब चल रहा है .कभी राम सीता को भाई बहिन बताना ,कभी द्रौपदी के चरित्र पर उंगली उठाना ,कभी ऍम .ऍफ़ .हुसेन जैसे विवादास्पद चित्रकारों द्वारा अश्लील चित्र हमारे आराध्यों के बनाना आखिर किस बात का संकेत है ?
कुछ समय पूर्व दक्षिण की कोई अभिनेत्री खुशबू के लिव इन रिलेशन के बयान पर सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीशों की कृष्ण राधा के संबंधों पर की गई टिप्पणी दुखद है .ये अंगरेजी पढ़े लिखे तथाकथित बुध्दिजीवीयों द्वारा की जा रही ये टिप्पणियाँ इनके मानसिक दिवालियापन की ही शायद उदाहरण हैं ।भारतीय दर्शन ,रामायण ,महाभारत का शायद इनको सतही ज्ञान हो या शायद वह भी नहीं .पश्चिम को ये बहुत जानते हों पर भारत को नहीं .एम् .ऍफ़ .हुसेन जैसे विकृत मानसिकता के चित्रकारों की पैरवी तो भारत सरकार करती ही है पर तसलीमा नसरीन को भारत में सुरक्षा भी नहीं मिलती है और सलमान रश्दी की रचनाओं पर पाबंदी लगती है .यह कैसा सर्व धर्म सद्भाव और कैसी धर्म निरपेक्षता ?
भगवान इन्हें सद्बुध्दि दे यही प्रार्थना है ताकि देश बचा रहे .

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