Friday, April 16, 2010

खुशियों का खजाना

दूसरों की तरह मुझे भी खुशियों की चाहत है .ढूंढता रहता हूँ ,कहाँ से मिले खुशियाँ .कभी सुबह के उदय होते सूर्य को देखता हूँ ,कभी चिड़ियों के चहचहाने को सुनता हूँ ,बगीचे के पेड़ों में खिले फूलों को निरखता हूँ ,मन खुश हो जाता है .कार्यालय में पहुँच कर सबको प्रेम से मिलता हूँ ,नमस्कार होती है ,लोगों की मुस्कान से मन प्रसन्न हो जाता है.अपने काम को उत्साह और मन से करता हूँ ,खुशी मिलती है .दोपहर का भोजन अनुराग से करता हूँ ,तृप्ति मिलती है .घर लौटकर अपने परिवार जनों के साथ खुशियाँ बाँट ता हूँ .शाम की बेला में भ्रमण में निकलता हूँ ।
वापस आकर एक और खुशी के खजाने को ढूंढ लेता हूँ ,साहित्य के अध्ययन में मानो मुझे खुशियों का खजाना मिल जाता है .एक नींद में सुबह हो जाती है ।
यही हैं खुशियाँ .अपने आसपास आसानी से उपलब्ध है खुशियाँ .कभी कभी अतीत के संघर्ष पर अपनी विजय पर हर्षित हो लेता हूँ ,नौकरी के दौरान अपनी उपलब्धियों को देख कर बड़ी खुशी मिलती है .सबका स्नेह दुलार ,सम्मान ,प्यार पाकर गौरव होता है .कभी कुछ लिख कर खुश हो लेता हूँ .जब उसे दुसरे पढ़ते हैं ,सराहना मिलती है ,खुशी दूनी हो जाती है .सदा खुश रहने का प्रयास करता हूँ ,यथा संभव चिंताओं को दूर रखने का प्रयास करता हूँ ।
मीठे बोल ,स्नेह ,प्रेम ,लोगों का सम्मान ,प्रकृति दर्शन मुझे अपार खुशियाँ देते हैं .खुशियाँ दें खुशियाँ लें इस सिध्दांत पर मैं भरोसा करता हूँ .हर कहीं खुशियाँ तलाशता रहता हूँ .जीवन खुशियों भरा है यह विश्वास सा हो गया है .हम सब खुश रहें ,खुशियाँ बांटें इन्हीं आशाओं के साथ .

1 comment:

MANZILE AUR BHI HAIN said...

aap ne bhut hi acha lekh likha hai very thanks for you.