आज जब हमारे जीवन में अर्थ और काम का प्रभाव बढ़ रहा है ,राजतन्त्र ,न्यायतंत्र एवं हमारे सारे व्यवहार में ये हावी हो रहे हैं ,तो चिंता होती है .बढ़ते अपराध ,टूटते सम्बन्ध ,दूषित होती समाज व्यवस्था हमें कहाँ ले जायेगी .बाजारवाद जब हम पर हावी हो रहा है तो चिंता और भी गहरी हो जाती है ।
समाज में आज धर्म ,नैतिकता ,आदर्शों की बात बकवास समझी जाती है .रूढ़ धर्म के परिप्रेक्ष में राजनीति को भी आज धर्म से परहेज है .सत्य ,प्रेम ,करुना ,दया ,सद्व्यवहार जो अवश्य करने योग्य हैं ,एक इन्सान को अपने व्यवहार में धारण करने योग्य हैं ,यही धर्म की परिभाषा है .एक मात्र मानव धर्म ही धर्म है .मानव से बड़ा कुछ भी नहीं .यह बात महाभारत जैसे ग्रन्थ में भी कही गई है .इसे न तब समझा गया और महाभारत हो गया दो परिवारों के बीच .आज भी इसे नहीं समझा जा रहा है .अर्थ और काम के पीछे दुनियां भाग रही है .नैतिकता बेमानी हो गई है .झूठ ,भ्रष्टाचार ,बेईमानी आज के बाजारवाद के अंग बनकर शिष्टाचार हो गए हैं ।
आज कोई गांधी ,बुध्द ,ईसा को नहीं सुनता ,अनुसरण नहीं करता .धर्म से राजनीति कतरा रही है ,अजीब सी स्थिति है आज ।
याद करें महाभारत के अंत में रुंधे गले से महर्षि वेदव्यास ने क्या कहा था -मैं दोनों हाथ उठाकर रोते हुए कहता घूम रहा हूँ ,मगर कोई मेरी बात नहीं सुनता .मैं कहता फिर रहा हूँ -अरे तुम लोग अर्थ ,काम किसी के पीछे दौड़ो ,उसके साथ धर्म को शामिल करना मत भूलो .धर्म तथा न्याय के पथ पर अगर तुम लोग चलते रहोगे ,तब धन समृध्दी भी बढ़ेगी ,इच्छाएं भी पूर्ण होंगी .इसके बावजूद लोग धन तथा काम के पीछे ही भागते हैं ,धर्म की सेवा नहीं करते ।
यही बात बुध्द ,ईसा,गांधी ने भी कहा था लेकिन उनकी क्या सुनी गई ,शायद नहीं .युग युग से ऐसा ही होता आया है और विनाश की तैयारी हुई है .भविष्य भी ऐसे ही संकेत दे रहा है .आज कहीं कोई सुरक्षित नहीं है .लोग अर्थ ,काम के लिए पागल हैं ।
ईश्वर,से प्रार्थना है कि,हमें सद्बुध्दी दे ,एक और महाभारत से बचाए .तब धर्म और न्याय के लिए कृष्ण थे ,आज कोई नहीं दिखाई देता ,शायद प्रकट होआकांक्षा यही है ,प्रार्थना यही है .उनहोंने कहा भी है ,धर्म की रक्षा के लिए मैं हर युग में अवतार लेता हूँ . शुभ की इच्छा है ,कुछ शुभ घटे यही प्रार्थना है .
Tuesday, May 4, 2010
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1 comment:
niece post lambe samay se achchha padne ko mila
please keep in tousch
http://chetna-ujala.blogspot.com
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