Tuesday, December 2, 2008

वह रात

आज से चौबीस वर्ष पहले की वह रात भोपाल के लिए अविस्मरणीय है.गैस त्राशदी की वह घटना याद करते ही मन काँप उठता है .दो और तीन दिसम्बर की रात जब लोग नींद या अर्ध्द निद्रा में थे भोपाल बदहवाशी में जाग रहा था .किसी को कुछ मालूम नहीं कि क्या हुआ पर वह यहाँ वहां भाग रहा था .बस उसे यही ख़बर मिली कि कहीं कुछ हुआ है.शायद कोई सिलेंडर फटा ,कोई दंगा हुआ या ऐसा ही कुछ और ।
अपने परिवार के साथ लोग भाग रहे थे यहाँ वहां .रात का समय भोपाल में मानों दिन निकला हुआ था .हम भी अपने परिवार के साथ घर छोड़ अनजान से भाग निकले.सड़क में मानो मेला लगा था .दूर मन्दिर में हमने आश्रय लिया .यहाँ हमें गैस रिसने की जानकारी मिली .विषैली गैस मिक यूनियन कार्बाइड से रिसी थी.इसने भोपाल में हजारों जान ली ,कई परिवारों को पीढियों का रोग दे दिया .आज भी भोपाल उस गैस की त्राशदी भोग रहा है ।
आधा अधूरा इलाज ,आधा अधूरा मुआवजा यह गैस पीडितों का सच है .यूनियन कार्बाइड कंपनी के खिलाफ कार्यवाही आज भी अधूरी है .तत्कालीन चेयरमैन आज भी क़ानून के कठघरे से बाहर है .यह हमारी न्याय व्यवस्था पर एक प्रश्न चिह्न है।
उस समय शासन प्रशाशन पंगु हो गया था.लोगों को कोई सूचना ,कोई जानकारी नहीं .इसके अभाव में भी त्राशदी और बढ़ी.यह त्राशदी किसी मानवीय आतंक से कम नहीं थी .इस गैस ने भोपाल को मानो श्मशान बना दिया था ।
गैस त्राशदी की बरषी पर शहीद हुए हजारों लोगों को श्रध्दांजली देते हुए यह प्रार्थना करें कि दुबारा इस तरह की घटना न हो .गैस पीडितों को न्याय मिले ऐसी अपेक्षा है.

1 comment:

महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Verma said...

बीती घटना याद दिलाने के लिए धन्यवाद. हमें इन बीती घटना से सीख लेनी चाहिए कि फिर कभी इस प्रकार की घटना न हो.

पीडितों के साथ सरकार को न्याय करनी चाहिए.

आपका
महेश
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